Saturday 16 April 2016

सतनामी विद्रोह और मीणा आदिवासियों की भूमिका

सतनामी विद्रोह और मीणा आदिवासियों की भूमिका.

सात मतों वाले सतनाम धर्म एवं सिधांत पर चलाने तथा मानाने वाले सतनामी कहलाये इन्हें साध भी कहा जाता है | ये लोग एक 'सत' (प्रकृति सकती ) सकती में विश्वास करते है और जाती पांति ,पाखंड ,कर्मकांड आदि में उनकी आस्था नहीं थी ये दान नहीं लेते स्वम खेती और मेहनत मजदूरी करके अपना पोषण करते थे वे स्वाभिमानि थे और अन्याय के विरुद्ध लड़ते थे | सतनामी पंथ की स्थापना 1657 ई में नारनौल के किसी व्यक्ति ने की थी संभवतः वो मीणा जाती से था जोगीदास(जाट) और वीरभान (मीणा) प्रसिद्ध सतनामी हुए है जिन्होंने इस मत का प्रचार प्रसार किया इसमें सभी जाती के लोग थे पर प्रारंभ में मीणा अधिक थे |1672 इ में एक सतनामी किसान जो नारनौल का था मुग़ल सैनिक से भूमि कर को लेकर झगडा हो गया सैनिक ने सतनामी का सर फोड़ दिया बड़ी संख्या में सतनामी इकठे हो गए और सैनिक की बहुत बुरी तरह से पिटाई की जिससे वो मर गया नारनौल के मुग़ल फोजदार करतल खा एक सैनिक टुकड़ी ले सनामियो का दमन करने आये पर सतनामियो ने उसकी सैना को बुरी तरह से हराया और करतल खा का क़त्ल कर दिया | इस पर कई मुग़ल मनसबदारो की सेना सतनामियो से लड़ने आई पर उनको हार का मुह देखना पड़ा जयपुर राजा विशन सिंह भी आया पर हार गया |
प्रो . जदुनाथ सरकार के अनुसार इस झगड़े ने बड़ा रूप ले लिया सतनामियो ने मुग़ल फोजो को कई बार हराया सतनामियो का नेत्रित्व बाबा जोधा (मीणा) शाहजहापुर वाले कर रहे थे उन्होंने नारनौल और बैराठ (प्राचीन मत्स्य राजधानी ) पर अपना अधिकार कर गाँवो में स्वम ही भूमि कर संग्रह करना शुरू कर दिया और अपने थाने स्थापित कर दिए सतनामियो के कुछ आक्रमण दिल्ली से 30 -35 मिल दूर तक हुए नारनौल का शाही खजाना लुट लिया |सतनामियो के पास केवल तलवारे ,भाले तीर धनुष , लाठिया व कुछ रहकडा थी लेकिन फिर भी वे ऐसी वीरता और बहादुरी से लड़े की खाफी खां (मुग़ल लेखक ) लिखता है की सतनामियो ने महाभारत के प्रसिद्ध युद्ध के दृश्य दुबारा स्मरण करा दिए |मुग़ल सेना सतनामियो से भयभीत हो गई उनको कोई चमत्कार का भरम और भय हो गया तब ओरंगजेब ने भरम दूर करने के लिए मंत्र लिखे कागज हथियारों और झंडो पर बाधे तब जाकर मुग़ल सैनिक लड़ने को तैयार हुए तब रंद्न्दाज खां के नेत्रित्व में तोपखाने से सुसज्जित सैना भेजी गई | सतनामी लोग बाबा जोधा के नेत्रित्व में बड़ी वीरता से लड़े पर मुग़ल तोपखाने के आगे नहीं ठहर सके |करीब 2000 सतनामी मीणा युद्ध में मारे गए बाबा जोधा और उनकी पत्नी संघर्ष करते हुए इस युद्ध में बलिदान हो गए आज भी उनके धड की पूजा नारनौल व सर की पूजा शाहजहापुर में होती बताई जाती है बाकि सतनामियो ने आतंकित होकर आत्म समर्पण कर दिया तथा नारनौल व बैराठ में उनकी सकती समाप्त कर दी गई साध पंथ छुड्वाया गया कई इस क्षेत्र को छोड़कर चले गए पर आज भी संतोकपुरा,तहसील बयाना भरतपुर ,साधपुरा तहसील टोडाभीम,करौली में मीणा सतनामी है वह सतनाम की चौकिय बनी हुई है मुमताज पूरा रेवाड़ी के पास होली पर विशेष भण्डारा होता है संतोकपुरा ,साधपुरा और मुमताज पूरा में पूर्णमासी को भी वेशेष आयोजन होते है |
बाबा जोधा के मुगलों के विरुद्ध नारनौल युद्ध 1672 ई . का एक लोक कवि ने बहुत ही सौर्यपूर्ण वर्णन किया है :--
शाहजहापुर का बाबा जोधा, सतनामी मिनो का सरदार |
 घोड़े की सवारी करता चौरी डाका रोकता , सादो का करता सत्कार || 
मीन्शल के मीन सरदार, करते बाबा जोधा का सम्मान | 
सभी जात के चेला उसके, करते सत और बाबा का ध्यान || 
भरपूर परिवार बाबा का, लड़ने आया मुगलों से भीषण जंग | 
भाई भतीजा सगे साध संग आये, मुगलों से सबने मिल किहनी भारी जंग ||
. बाबा की पत्नी ने मीन, महिलाओ का नेत्रित्व किया | 
संग बाबा के रहकर, भीषण रण में भारी कमाल किया || 
साध बाबा जोधा ने, बड़ी वीरता से की जंग |
 एक तीर से दो तीन मारिया, बैरी देख रह गयो दंग || 
सिकदार को मार भगाया, फोजदार करतल खा का सर काटा | 
कर नारनौल पर कब्ज़ा, शाही खजाना भी लुटा || 
लुटे धन को सदावर्त के लिए शाहजहापुर भिजवाया | 
दूर दूर भेज सन्देश, सतनामी मिनो को लड़ने बुलाया || 
टोडाभीम सध्पुरा से, मीणा संग लाये जंगी ढोल | 
बैराठ ,मेवात का मीणा आया, संग लाये मेवन को बोल || 
मीनावती का मीणा आया. संग लाये रह्कडा | 
टीडीदल की तरह नारनौल पहुचे, चलाते आये सोतडा || 
दूर दूर का चेला आया, सुनकर बाबा के बोल | 
मनसबदार बादशाह के भागे. छोड़ गए जंगी ढोल ||
 बाबा जोधा ने बना चौकिय, मिनो को सतनामी बनाया |
 नारनौल बैराठ पर हो काबिज सतनामी राज जमाया || 
बलिदान हुए बाबा, सतनामी सत मान रखवाया | 
पूजा जाता धड नारनौल , सर भी गाँव पुज्वाया || 
जग में नाम अमरकर गए 2000 साद, सतनामी मान बढाया |
 लड़ा युद्ध भारी दुश्मन को महाभारत की याद दिलाया ||..
 जय सतनामी वीरता धीरता व पंथ की......... 
संदर्भ :---

1-मध्यकालीन भारत--बी एल गुप्ता व पेमा राम पृष्ट -403,404 , 2-भारत का इतिहास -आसिरवादी लाल पृष्ट -638,639, 3-मीणा दर्शन पृष्ट -5 , 4-Histori of aurangzeb-यदु नाथ सरकार(इतिहासकार ) , 5-Mintkhab ul lubab-khwafi खान ( मुग़ल लेखक )

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