धराड़ी माता (कुलदेवी
) का लोकगीत
माता रानी के भवन में ,
माँ म्हारी नारला को बिडालो
माता जी ने ध्याओ जी माता जी ने मनाओ जी
ज्याके तो मन म्हारी धराड़ी,
माता जी रम रही खेल रही दुवारे
माता जी नै जो ध्यावे
वो घणो सुख चैन पावे जी
ज्याके तो मन म्हारी धारादी माता जी,
राम रही, खेल रही
दुवारे
माता वंश बढ़वान नै ध्यावे जी
वो बहुत सुख चैन पावे जी
माता ने ध्यावे प्रभु ,रेवड़ जी
ज्याके तो मन म्हारी धराड़ी ,
म्हारी वंश बधावन माता जी
रम रहे वो खेल रही दुवारे
दीपा भी आवे वाकी साथन भी आवे
जात जडूला ,गोद्या
में ल्यावे
म्हारी धराड़ी माता,
म्हारी वंश बधावन माता
जियाँ जियाँ बढे धरकत थारा माता,
ऐ स्याही बढे म्हाको सग्लों वंश ऐ माता
माता धराड़ी,कुलदेवी ,वंश बधावन ने ध्यावे जी
वो बहुत सुख चैन पावे जी
(इसी प्रकार परिवार के सदस्यों का बारी बारी से नाम लेकर गीत को आगे बढाया जाता है )
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